नरक में मिलती है ये 5 भयानक सजाएं जानकर आप रह जाओगे दंग😱
इंसानी जीवन में रहते हुएं नरक की कल्पना करना बहुत ही दुखद है क्योंकि नरक का नाम ध्यान में आते ही हमारे मन में कई तरह के नकारात्मक ख्याल आने लगते हैं ||
परंतु वैज्ञानिकों की माने तो इस प्राकृतिक शक्ति के बारे में सोचने से हमारे सोसाइटी में क्राइम कम होने के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि भी देखी जा सकती है ||
हिंदू धार्मिक पुराणों के अनुसार नरक वह स्थान है जहां पाप करने वाले की आत्मा को दंड भोगने के लिए भेजे जाते हैं दंड के बाद क्रमानुसार उनका दूसरी योनियों में जन्म होता है पापी आत्मा जीते जी तो नरक भोगता ही है मरने के बाद भी उसे पाप अनुसार अलग-अलग नरको में 28 तरह की सजाएं मिलती है
- उन्हीं में से पांच भयानक सजाओं के बारे में हम आज के इस वीडियो में जानेंगे ||
वैतरणी नदी
किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति यह संसाधनों का आनंद लेने वाला मनुष्य इस सजा का प्रार्थी होता है भागवत पुराण के अनुसार यह सजा एक ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जो अपने और अपने परिवार की परवाह तो करता है लेकिन अन्य जीवों को हानि पहुंचाता है और हमेशा दूसरे से ईर्ष्या करता है ||
जब कोई इस सजा को भोगता है ऐसे व्यक्ति द्वारा जिनको उन्होंने धोखा दिया है एक भयानक नाग का आकार ग्रहण करता है जिसे रूरस भी कहा जाता है जब तक पापी का समय समाप्त नहीं हो जाता तब तक रुरस उसे गंभीर यातनाएं देता है विष्णु पुराण के अनुसार यह सजा झूठे गवाह देने वालो के लिए बताया है
कुंभी पाकम
कुंभी पाकम का मतलब है गर्म तेल में खौलना , यह सजा उन लोगों को दिया जाता है जो अपनी खुशी के लिए जानवरों को मारते हैं यहां तेल के बड़े-बड़े बर्तनों में उबला हुआ तेल रखा जाता है और पापियों को इन बर्तनों में गिरा दिया जाता है , और उन्हें गर्म तेल में खौला जाता है ब्रह्मचारी जिसके मन में किसी भी औरत के लिए वासना हो या ऐसी संतान जो अपने धार्मिक माता पिता की सेवा ना करता हो कुंभी पाकम के पात्र बनते हैं
असितापत्रम
अपने कर्तव्य से भागने वाले पापियों के लिए नर्क कि यह बेहद निर्मम सजाएं है , सजा के दौरान यम के सेवकों द्वारा असितापत्रम जो तेज तलवार के आकार वाले पत्ते होते हैं से बने चाबुक मारते हैं ||
दोषी के चेहरे पर पत्थर गिराए जाते हैं और कांटों पर चलाया जाता है फिर जब तक वह बेहोश नहीं हो जाता तब तक वह चाकू से छिले जाते है || जब वह ठीक हो जाता है तब इस प्रक्रिया को पुनः दोहराया जाता है जब तक की उसकी यह सजा समाप्त नहीं हो जाती ||
क्रीमी भोजन या कृमिभक्ष
भागवत पुराण के अनुसार वह व्यक्ति जो मेहमान , बड़े , बच्चों या देवताओं के साथ अपना भोजन साझा नहीं करता और स्वार्थी हो कर अकेले खाने का आदि होता है || उनको इस नर्क में दंडित किया जाता है
इस नर्क की अवधि एक लाख योजन की होती है और इसमें पापी आत्माओं को एक कीड़ा बनाकर लाखों कीड़ों में डाल दिया जाता है इसमें पापी आत्मा पहले दूसरे कीड़ों को खाकर पलता है फिर कीड़े कम हो जाते हैं जो बदले में उसी को आहार बनाते हैं ||
विष्णु पुराण बताता है जो अपने पिता ब्राह्मण या देवताओं से घृणा करता है क्रीमीभक्ष कि सजा का प्रार्थी होता है ||
तप्ससूर्मी नर्क
इस नरक में उन लोगों को लाया जाता है जो धरती पर दूसरों की पत्ती से संभोग करते हैं या नाजायज संबंध बनाते हैं ऐसी आत्माओं को यहां पहले कोड़े से पीटा जाता है फिर गर्म खंबे से बांधकर कई दिनों तक यातनाएं दी जाती है जब तक कि उसकी सजा समाप्त नहीं हो जाती ||
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FAQ
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